Sunday, August 16, 2009

कोई कैसे साबित कर देता है वफ़ा, मालूम नही.....हम तो हरेक जगह बेवफा साबित हुए

इल्जाम इतने हैं मेरे दोस्तों के मुझ पर ......

मानो मुझ से बडा कोई गुनाहगार नही......

किसे कहूँ अपनी बात, किसे सुनाऊं दिल की बात...हंस लेता हूँ, रो लेता हूँ, बस यूँ ही खामोश सा जी लेता हूँ....

जाने क्यों....

जाने क्यों मैं अकेला रह जाता हूँ.....वो भी तब जब बहुत सारे लोग मेरे दोस्त होते हैं, पता नही क्यों मैं इतना कमजोर हो जाता हूँ.....वो भी तब जब बहुत सारे मेरे दोस्त मेरे मज़बूत होने पर इतराते हैं, न जाने क्यों मैं खुद को समझ नही पाता....वो भी तब जब मेरे दोस्त मुझे समझ लेने का दावा करते हैं, मैं कुछ भी तो नही जानता, ना खुद के बारे में, न दोस्तों के बारे में......सब वक़्त तय करता है, माहोल तय करता है कि कोन किसको कितना जानता है.......

Wednesday, July 9, 2008

डेरा सच्चा सौदा : जिसे सच बर्दाशत नही !

सिर्फ़ 23 साल की उम्र में हरियाणा,पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के लाखों लोगों की आस्था के केन्द्र डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख बने बाबा गुरमीत की शख्सियत में आख़िर ऐसा क्या है, जो उन्हें सरेराह कभी भी और कहीं भी विवादों में खींच लेता है.....इस से जुड़े तमाम पहलुओं पर अब बहस किया जाना लाजिमी है। ये इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि, बाबावाद और डेरावाद इस कदर जहरीला हो गया है कि उसका दंश उन लोगों को लीलने लगा है जो लोग उसकी समानान्तर सत्ता की मुखालफत मे कलम चलाते हैं। जिस बाबा पर साध्वियों से बलात्कार करने और कत्ल के आरोप में सीबीआई जांच चल रही हो, उस बाबा की हिफाजत के लिए सरकारें उन्हें सुरक्षा मुहेया करवा रही हैं। इतना ही नही, बाबा को अपने साथ दर्जनों हथियारबंद गुंडे रखने की भी इजाज़त किस से मिली,किस ने दी...किसी को ख़बर नही। अदालत से मिलती तारीख पर तारीख से बाबा सुकून मे है पर बाबा के ख़िलाफ़ अदालत मे गवाही देने वालों के सर पर हर वक़्त मौत मंडरा रही है............क्या इस धार्मिक आतंकवाद से निपटने का कोई रास्ता है?