Sunday, August 16, 2009
जाने क्यों....
जाने क्यों मैं अकेला रह जाता हूँ.....वो भी तब जब बहुत सारे लोग मेरे दोस्त होते हैं, पता नही क्यों मैं इतना कमजोर हो जाता हूँ.....वो भी तब जब बहुत सारे मेरे दोस्त मेरे मज़बूत होने पर इतराते हैं, न जाने क्यों मैं खुद को समझ नही पाता....वो भी तब जब मेरे दोस्त मुझे समझ लेने का दावा करते हैं, मैं कुछ भी तो नही जानता, ना खुद के बारे में, न दोस्तों के बारे में......सब वक़्त तय करता है, माहोल तय करता है कि कोन किसको कितना जानता है.......
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